IND बनाम AUS WTC फाइनल
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) की फाइनल प्रतियोगिता 7 जून से शुरू हो रही है। पहले दिन भारतीय टीम के रोहित कप्तान शर्मा ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया। शुरुआती तीन विकेट ने जिस तरह से संकेत दिया, लग रहा था कि यह फैसला काफी हद तक सही है। 76 रन पर भारतीय समुद्रों ने ख्वाजा, वोर्नर और लाबुशेन का विकेट झटक लिया था। पर उसके बाद ट्रेविस हेड और स्टीव स्मिथ ने ऐसा खोटा किया कि भारतीय समुद्र के दिन की आखिरी गेंद चौथे विकेट के लिए लाते रहे।
ऑस्ट्रेलियाई टीम ने पहले दिन का खेल खत्म होने तक तीन विकेट खोकर 327 रन बनाए थे। शानदार शतकीय पारी खेलकर सिर 146 रहते नाबाद थे। वहीं स्टीव स्मिथ अपने शतक से सिर्फ 4 रन दूर रह गए थे। दोनों दिन का खेल चौथे विकेट के लिए 251 रनों की साझेदारी कर ली थी। अब सवाल यही है कि रोहित कप्तान शर्मा से बड़ी चूक हुई है? इसे हम नहीं कह रहे हैं बल्कि आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। इंग्लैंड में इससे पहले भारतीय टीम ने 38 बार टॉस जीतकर पहला बॉलिंग चार्ट जिसमें से 20 बार उसे हारजितनी पड़ी और सिर्फ तीन बार जीत मिली। यह आंकड़े डर रहे हैं और हर भारतीय फैन के जहन में एक ही डर है, कहीं न कहीं सपना टूट गया है!
भारतीय टीम, IND vs AUS WTC फाइनल
यह आंकड़े आकर्षित कर रहे हैं…
इंग्लैंड में तो भारत ने 38 में से सिर्फ तीन मैच जीते जब पहले टॉस जीतकर गेंदबाजी करने का फैसला किया। वहीं ओवरऑल भारतीय टीम ने 57 बार टास्क जीतकर पहली बॉलिंग तालिका है और सिर्फ 9 बार ही उसे जीत मिली है। जबकि सभी 20 बार उन्हें इंग्लैंड में हार मिली है। यह आंकड़े निश्चित ही रहे हैं। भारतीय टीम के सभी फैंस को उम्मीद है कि 10 साल की ICC ट्रॉफी का इंतजार पूरा होगा। पर यहां जो पहले दिन घटा उसने सभी की उम्मीदों को कहीं ना कहीं गहरा झटका दिया है।
अश्विन को क्यों नहीं मिला मौका?
चंद्रन अश्विन को इस महामुकाबले के लिए टीम में जगह नहीं मिली। भारत के लिए मौजूदा समय में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला समुद्र पर स्थिति है। इस पर कई दिग्गज क्रोध करते हैं। पिछले विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में भी भारतीय टीम 11 वरीयता में चूक गई थी। वहां के कप्तान कोहली ने पिच को सही से रीड ना करते हुए तीन पेसर और दो स्पिनर खिलाड़ी थे। यहां ओवल में पिच का मिजाज अलग है। इस होश से सुनील गावस्कर सरिखे दिग्गजों को लगता था कि टीम को अपनी ताकत के साथ ही उतरना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह तब और सवाल उठे जब चौथे समुद्र के रूप में उमेश यादव पहले दिन पूरी तरह से सच साबित हुए।